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#हमारे जीवन पर “ऋतुओं के परिवर्तन” का क्या प्रभाव पड़ता है ? एक दृष्टि में |#What is the effect of "change of seasons" on our lives? at a glance |, #hmare jivan pr rituon ke privrtan ka kya prbhav prta hai ?

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भूमिका   विज्ञान तो जीवन जीने की तमाम मानक तत्वों की खोज में चाँद तक पहुँच गया है,लेकिन वर्तमान में पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहाँ जीवन को जीना भी आसान है और जीवन को आगे बढ़ाना भी मुमकिन है क्योंकि पृथ्वी की संरचना ही जीवन के लिए अनुकूल है | पृथ्वी की संरचना, जीवन के लिए अनुकूल इसीलिए है क्योंकि धरती पर प्यास बुझाने के लिए मीठा जल है,पेट भरने के लिए यानि भोजन की उपज के लिए उपजाऊ मिट्टी है ,साँस लेने के लिए हवा है और आवो हवा में जीवन को बलिष्ट बनाने वाली ऋतुओं का साथ है , आवो हवा में जीवन को बलिष्ट बनाने वाली ऋतुओं का साथ इस लिहाज से है क्योंकि मनुष्य का शरीर जहाँ ग्रीष्म ऋतु की तपन से तप्त होता है वहीं वर्षा ऋतु के प्रभाव से थोड़ी राहत का साँस लेता है , शरद ऋतु से जब थोड़ा अपनी आवो – हवा में उमस महशुस करता है तब शीत ऋतु की करकराती ठंड को सहने की ओर अग्रसर हो जाता है |   ऋतु या मौसम एक शब्द के रूप में ऋतु और मौसम को अगर एक शब्दावली की दृष्टी से देखें तो दोनों एक समनार्थी शब्द की श्रेणी में आते है,जिसका अर्थ होता है सीजन , काल, समय लेकिन इनके उपयोग और प्रयोग में अंतर होता

#पर्यटन , पर्यटन का महत्व और प्रभाव एक दृष्टि में | #prytan , prytan ka mahtva or prbhav ek drishti men #Tourism, Importance and Impact of Tourism at a Glance.

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  पर्यटन शब्द का शाब्दिक अर्थ पर्यटन शब्द का संधि विच्छेद - परि + अटन होता है, जो की एक यण संधि का उदाहरण भी है, जिसमें परि का अर्थ चारों तरफ एवं अटन का अर्थ घूमना – फिरना अर्थात पर्यटन शब्द का शाब्दिक अर्थ चारों तरफ घूमने – फिरने से सम्बंधित है | प्रस्तावना कहते है दुनियाँ बड़ी रंगीन है जिसे जितना करीब से देखो उतना ही देखने का मन करता है | ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि हम जिस चीज को जितना अधिक देखने की कोशिश करते है उतना ही उस चीज के बारे में विस्तार से जानने की या समझने की जिज्ञासा उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण पर्यटन हमें बार – बार अपनी तरफ आकर्षित करती है | पर्यटन ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें प्रकृति के सौन्दर्य, नई – नई संस्कृति , नई – नई भाषा ,नये – नये विचारों के लोगों को करीब से देखने और अपने सिमित दायरे को बढ़ाने में मदद करती है | पर्यटन का प्रभाव मात्र एक व्यक्ति विशेष तक ही सिमित नहीं है इसका दायरा व्यापक है जैसे – ·         पर्यटन किसी भी देश की अर्थव्यस्था को मजबुत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है | ·         पर्यटन कुछ हद तक बेरोजगारी दूर करने में भी म

#अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण एक दृष्टि में |#arthvyvstha ka dijitalikran ek drishti me#Digitization of the Economy at a Glance|

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ऐसा हम मानते है या ऐसा हम समझते है की प्रगतिशील होना जीवन को सार्थक बनाता है क्योंकि जीवन अगर प्रगतिशील है तो इसमें कुछ ना कुछ बदलाब निरंतर देखने को मिलेगा, जिसके कारण ठहरे हुए पानी की तरह जीवन कभी बर्बाद नहीं होगा,जीवन का बर्बाद नहीं होना, ये इशारा करता है की जीवन प्रगतिशील है और समय के साथ बदलने को या चलने को तैयार है | जीवन अगर प्रगतिशील है तभी आवश्यकताओं का जन्म होगा और उसकी पूर्ति के लिए उद्धम होंगे या समय के साथ चलने में सक्षम होंगे | जीवन अगर प्रगतिशील है तो हम अपने जीवन जीने के तरीकों को समय के साथ सुदृढ़ एवं बेहतर करते जायेंगे ,मेरी समझ से इसी दिशा में एक कदम है ‘अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण’ जिसके बारे में आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे  | तो आइये सबसे पहले हम ये समझने की कोशिश करते है की डिजिटलीकरण क्या है और ये कैसे काम करता है | इंटरनेट के माध्यम से संचालित होने वाली कार्य प्रणाली , एक प्रकार की डिजिटल कार्य  प्रणाली होती है,जिसके माध्यम से किसी भी प्रकार की सूचना एवं किसी भी प्रकार के  दस्तावेज को डिजिटली रूप से सुरक्षित रखा जाता है | जब इसका व्य

#सांस्कृतिक विरासत एक दृष्टि में | #sanskritik virasat ek drishti men | #Cultural Heritage at a Glance.

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  प्रस्तावना जिस प्रकार कोई एक दिन में अनेकों पुस्तक पढकर विद्यावान नहीं हो सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में महल नहीं खड़ा कर सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में पूरी दुनियाँ नहीं घूम सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में किसी कला में कुशल नहीं हो सकता, जिस प्रकार कोई एक दिन में सुसंस्कृत नहीं हो सकता ,ठीक उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति के भीतर संस्कृति का निर्माण एक दिन में नहीं हो सकता ! इसके लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता है,क्योंकि संस्कृति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है , जिससे ये कहना और आसान हो जाता है की किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया ही उसके व्यवहार करने , कोई कार्य करने , रहने – सहने यहाँ तक की जीने के तरीकों को संस्कृति से भर देता है | संस्कृति सिर्फ हमारे व्यवहार के जरिये ही नहीं पहचानी जाती है या प्रदर्शित होती है अपितु हमारी उपलब्धियों से भी पहचानी जाती है क्योंकि हमारी उपलब्धियाँ भी एक तरह से हमारे जीने के तरीकों से लेकर कुछ हासिल करने के तरीकों तक को प्रदर्शित करती है, जो विरासत के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को आप ही मिल जाती है   |       संस्क