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#birsamuda#बिरसा मुंडा #‘मेरी प्रेरणा- जनजातीय नायक बिरसा मुंडा’

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                                             ‘ मेरी प्रेरणा- जनजातीय नायक बिरसा मुंडा ’ प्रस्तावना “कुछ लोग जिन्दा होकर भी जिन्दा नहीं रहते ! वहीं कुछ लोग मर कर भी नहीं मरते, सदा जिन्दा रहते है”, “ जैसे हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी ”| जिन्होंने कभी अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने कर्तव्य से मुँह नहीं मोड़ा, जिन्होंने कभी अंग्रेजों के द्वारा दी जाने वाली यातनाओं के डर से , घोड़ पीड़ा के भय से सच्चाई का पथ नहीं छोड़ा, कभी दबे – कुचले लोगों की मदद करने से , देश की भक्ति से या देश भक्तों का साथ देने से कभी भी मुँह नहीं मोड़ा , अपने कर्तव्य के प्रति इतना दृढनिश्चयी तो सिर्फ और सिर्फ भगवान ही हो सकते है कोई दूसरा नहीं इसीलिए हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी ने स्वयं को धरती आबा भी कहा था अर्थात “धरती का भगवान” |     जन्म हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी का जन्म 18 नवम्बर 1875 को उलिहातु गाँव के एक बटाईदार किसान परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता...

#‘आजादी का अमृत महोत्सव’ देश की उन्नति के लिए एक बेहतर संदेश |#Azadi Ka Amrit Mahotsav' is a better message for the progress of the country.#'azadi ka amrit mhotsav'desh ki unnti ke liye ek behtr sndesh

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  प्रस्तावना जीवन में समृद्धि प्राप्त करने के लिए किन – किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है ,कौन – कौन सी इच्छाओं की तिलांजली देनी पड़ती है ,कौन – कौन से लोग सफर के साथी बनते है , किन – किन लोगों का साथ बीच मझदार में ही छूट जाता है , जीवन में ऐसे कम ही मौकें मिलते है जब शान्ति से बैठकर अपने बीते दिनों को याद किया जा सके और अपनी उपलब्धी या अनुपलब्धि के महत्व को पुन: मानसिक पटल पर जीवंत किया जा सके | उपर्युक्त बातें व्यक्तिगत बाधा को परिभाषित कर रही है जो स्वयं के बनाये घर से स्वयं ही निकल नहीं पाने के दर्द को बयाँ कर रही है या स्वयं के बनाये घर में ,स्वयं ही अपनी मरजी का कुछ नही कर पाने की पीड़ा को उजागर कर रही है | तो जरा सोचिये, एक इंसान जब अपनी जद्दोजहद से भरी जिन्दगी में इतना डूबा हुआ है, जिसे अपने अतीत के बारे में सोचने या चर्चा करने तक की फुरसत नहीं है, क्या वह देश की आजादी में बलिदानों की भेंट चढ़े हुए अमर सपूतों के बारे में या स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने के लिए स्वयं से कुछ पल निकाल पायेगा ! मेरी समझ से तो बिल्कुल भी नहीं ! इसीलिए मेरी समझ से ‘आजादी का अमृ...