#सांस्कृतिक विरासत एक दृष्टि में | #sanskritik virasat ek drishti men | #Cultural Heritage at a Glance.

प्रस्तावना जिस प्रकार कोई एक दिन में अनेकों पुस्तक पढकर विद्यावान नहीं हो सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में महल नहीं खड़ा कर सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में पूरी दुनियाँ नहीं घूम सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में किसी कला में कुशल नहीं हो सकता, जिस प्रकार कोई एक दिन में सुसंस्कृत नहीं हो सकता ,ठीक उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति के भीतर संस्कृति का निर्माण एक दिन में नहीं हो सकता ! इसके लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता है,क्योंकि संस्कृति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है , जिससे ये कहना और आसान हो जाता है की किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया ही उसके व्यवहार करने , कोई कार्य करने , रहने – सहने यहाँ तक की जीने के तरीकों को संस्कृति से भर देता है | संस्कृति सिर्फ हमारे व्यवहार के जरिये ही नहीं पहचानी जाती है या प्रदर्शित होती है अपितु हमारी उपलब्धियों से भी पहचानी जाती है क्योंकि हमारी उपलब्धियाँ भी एक तरह से हमारे जीने के तरीकों से लेकर कुछ हासिल करने के तरीकों तक को प्रदर्शित करती है, जो विरासत के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को आप ही मिल जाती है | ...