#सांस्कृतिक विरासत एक दृष्टि में | #sanskritik virasat ek drishti men | #Cultural Heritage at a Glance.

 



प्रस्तावना

जिस प्रकार कोई एक दिन में अनेकों पुस्तक पढकर विद्यावान नहीं हो सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में महल नहीं खड़ा कर सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में पूरी दुनियाँ नहीं घूम सकता , जिस प्रकार कोई एक दिन में किसी कला में कुशल नहीं हो सकता, जिस प्रकार कोई एक दिन में सुसंस्कृत नहीं हो सकता ,ठीक उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति के भीतर संस्कृति का निर्माण एक दिन में नहीं हो सकता ! इसके लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता है,क्योंकि संस्कृति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है , जिससे ये कहना और आसान हो जाता है की किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया ही उसके व्यवहार करने , कोई कार्य करने , रहने – सहने यहाँ तक की जीने के तरीकों को संस्कृति से भर देता है |

संस्कृति सिर्फ हमारे व्यवहार के जरिये ही नहीं पहचानी जाती है या प्रदर्शित होती है अपितु हमारी उपलब्धियों से भी पहचानी जाती है क्योंकि हमारी उपलब्धियाँ भी एक तरह से हमारे जीने के तरीकों से लेकर कुछ हासिल करने के तरीकों तक को प्रदर्शित करती है, जो विरासत के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को आप ही मिल जाती है  | 

 



 संस्कृति  

संस्कृति एक गुण है जो जीवन जीने की कला को परिभाषित करती है | हम जिस धर्म में आस्था रखते है , हम जिस प्रकार के वस्त्र पहनते है , हम जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग करते है , हम अपने लिए जिस प्रकार के  आहार का प्रबंध करते है या हम क्या कुछ हासिल करते है ये सब के सब हमारी संस्कृति को ही परिभाषित करती है या दर्शाती है | संस्कृति ही एक ऐसा माध्यम है जिससे लोग पहचाने जाते है क्योंकि संस्कृति गतिशील है जिसका प्रभाव हर जगह ,उस जगह के अनुरूप होता है जैसे – भाषा ,परिधान ,आहार और जीने के तरीके इत्यादि |

संस्कति को और अच्छे से निम्न दिये गये उदाहरण के माध्यम से भी समझा जा सकता है

-    किसी की, किसी के प्रति धारणा उसकी सोच को दर्शाती है जबकि किसी के प्रति, किसी की प्रतिक्रिया उसकी संस्कृति को दर्शाती है |

 

संस्कृति का निर्माण

संस्कृति का निर्माण कुछ जन्मजात और कुछ अनुवांशिक होने के साथ – साथ, हम जिस मिट्टी में साँस लेते है, उस मिट्टी की आवो हवा से, हमारे अपने गाँव समाज के वातावरण से, व्यक्ति विशेष से, किसी और के प्रभावित विचार से, हमारे मन मस्तिस्क पर जो प्रभाव पड़ता है और उससे जो नये विचारों का सृजन होता है असल में वही हमारे संस्कारों के रूप में, भाव व्यक्त करने के विभिन्न तरीकों के माध्यम से प्रदर्शित होता है |

संस्कृति में बदलाव

हम बहुत कुछ देखते है , बहुत कुछ सुनते है , बहुत कुछ पढ़ते है लेकिन उन्हीं चीजों को हम अपने जीवन में उतरने की कोशिश करते है  जो हमको प्रभावित करने के साथ – साथ उचित लगती है, ठीक ऐसा ही हमारे पूर्वजों ने भी किया और ठीक ऐसा ही हमारी अगली पीढ़ी भी करेगी क्योंकि समय के हिसाब से सोच में परिवर्तन होना आवश्यक भी है उचित भी है|

 


सांस्कृतिक विरासत

सांस्कृतिक विरासत से तात्पर्य ऐसी संस्कृति से है जो हमें अपने पूर्वजों से विरासत के रूप में आप ही प्राप्त हो जाती है या सांस्कृतिक विरासत से तात्पर्य ऐसी संस्कृति से है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को आप ही उनकी संस्कृति रूपी उपलब्धियों के रूप में मिल जाती है , जिसके लिए किसी भी प्रकार का कोई परिश्रम नहीं करना पड़ता है|

हमारे पिछली पीढ़ियों की उपलब्धियां आज हमारी संस्कृति धरोहर या विरासत है जैसे- एलोरा एलिफेंटा की गुफायें , ताजमहल , दिल्ली का कुतुबमीनार ,अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर इत्यादि , ठीक वैसे ही हमारी उपलब्धियां भी हमारी अगली पीढ़ी को विरासत में मिलेंगी जैसे - Statue of Unity सरदार बल्लभ भाई पटेल , Statue of Equality , Vaishnavite saint Ramanujacharya , अयोध्या का राम मन्दिर ,नये सांसद भवन और सांसद भवन पर लगे नये अशोक स्तम्भ इत्यादि |

सांस्कृतिक विरासत से लाभ  

सांस्कृतिक विरासत का जीवन पर प्रभाव एक ऐसे अटूट डोर की तरह है जो जीवन के हर मोड़ पर बांधे रखती है क्योंकि संस्कृति भले समय के साथ बदल सकती है लेकिन सांस्कृतिक विरासत ज्यों का त्यों रहता है, उसमें किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है| जैसे हमारे धर्म ग्रन्थ,त्योहार, मान्यतायें इत्यादि |  

 


 निष्कर्ष

सांस्कृतिक विरासत ही हमारी मुल संस्कृति की पहचान चिन्ह है , जिसको संरक्षित एवं सुरक्षित रखना अपने मुल पहचान को जीवित रखने के समान है, क्योंकि संस्कृति ही हमें अच्छा व्यवहार करना सिखाती है और हमारी पहचान को बरकरार रखती है| सांस्कृतिक विरासत हमें अपने पूर्वजों या अपने पिछली पीढ़ियों के उत्कर्ष और उन्नति से भी अवगत कराती है जिससे हमें अपनी विरासत में मिली संस्कृति पर गर्व भी होता है और हमारी अपनी उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है |



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