#हमारे जीवन पर “ऋतुओं के परिवर्तन” का क्या प्रभाव पड़ता है ? एक दृष्टि में |#What is the effect of "change of seasons" on our lives? at a glance |, #hmare jivan pr rituon ke privrtan ka kya prbhav prta hai ?


भूमिका  

विज्ञान तो जीवन जीने की तमाम मानक तत्वों की खोज में चाँद तक पहुँच गया है,लेकिन वर्तमान में पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहाँ जीवन को जीना भी आसान है और जीवन को आगे बढ़ाना भी मुमकिन है क्योंकि पृथ्वी की संरचना ही जीवन के लिए अनुकूल है |

पृथ्वी की संरचना, जीवन के लिए अनुकूल इसीलिए है क्योंकि धरती पर प्यास बुझाने के लिए मीठा जल है,पेट भरने के लिए यानि भोजन की उपज के लिए उपजाऊ मिट्टी है ,साँस लेने के लिए हवा है और आवो हवा में जीवन को बलिष्ट बनाने वाली ऋतुओं का साथ है ,

आवो हवा में जीवन को बलिष्ट बनाने वाली ऋतुओं का साथ इस लिहाज से है क्योंकि मनुष्य का शरीर जहाँ ग्रीष्म ऋतु की तपन से तप्त होता है वहीं वर्षा ऋतु के प्रभाव से थोड़ी राहत का साँस लेता है , शरद ऋतु से जब थोड़ा अपनी आवो – हवा में उमस महशुस करता है तब शीत ऋतु की करकराती ठंड को सहने की ओर अग्रसर हो जाता है |

 

ऋतु या मौसम एक शब्द के रूप में

ऋतु और मौसम को अगर एक शब्दावली की दृष्टी से देखें तो दोनों एक समनार्थी शब्द की श्रेणी में आते है,जिसका अर्थ होता है सीजन, काल, समय लेकिन इनके उपयोग और प्रयोग में अंतर होता है उदाहरण के तौर पर एक हिन्दी फिल्म के गीत के बोल को ही लीजिए –

“मौसम है सुहाना की दिल ना लगे

साथिया नहीं जाना की दिल ना लगे”

इस गीत के बोल में अगर मौसम के स्थान पर ऋतु शब्द का प्रयोग करेंगे तो अटपटा लगेगा और भाव भी सही रूप से व्यक्त नहीं हो पायेगा |

खैर,

 


ऋतु या मौसम का निर्माण कैसे होता है ?

ये जानने की कोशिश करते है ............

   

ऋतुओं के परिवर्तन में सूर्य के तामपान की मुख्य भूमिका होती है क्योंकि ऋतुओं का परिवर्तन सूर्य के उतरायन और दक्षिणायन होने की गति पर केन्द्रित होता है |

 

अगर इसको और विस्तार से समझने की कोशिश करें तो -

सूर्य के तापमान के स्तर में प्रत्येक दो महीने के अंतराल पर फेर बदल होता है|

यानि एक निश्चित वर्ष में सूर्य के तापमान में छह बार फेर बदल होना निश्चित है | इसीलिए हम कह सकते है की सूर्य के तापमान का प्रत्येक फेरबदल एक ऋतु का निर्माण करती है, जिससे ऋतुओं की संख्या एक निश्चित वर्ष में छह हो जाती है , जो बसंत ऋतु , ग्रीष्म ऋतु , वर्षा ऋतु , शरद ऋतु , हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु के नाम से जानी जाती है |

लेकिन भारतीय मौसम विभाग के अनुसार भारत की जलवायु से सूर्य के तापमान में एक निश्चित वर्ष के भीतर चार बार ही परिवर्तन होता है जिससे चार ऋतुओं का ही निर्माण होता है, जो शीत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु एवं शरद ऋतु कहलाती है |

ऋतुओं का आम जन जीवन पर प्रभाव

प्रत्येक ऋतु की अपनी एक तासीर होती है,अपना एक प्रभाव होता है, जो सूर्य के तापमान, और पृथ्वी पर उपस्थित आवो हवा के मेल के माध्यम से, हमारे मन मस्तिस्क से होते हुए, हमारे सम्पूर्ण शरीर पर पड़ता है |

जिस ऋतु की जैसी बनावट होती है, जैसी संरचना होती है, उसके मुताबिक़ ही वो अपना प्रभाव छोड़ती है, जो जीवन के लिए उपयोगी होने के साथ – साथ महत्वपूर्ण भी होती है |

ऋतुओं का प्रभाव विभिन्न मौसमों के परिवर्तन के माध्यम से जीवन पर पड़ने के साथ – साथ, जीवन से जुड़ी चीजों पर भी पड़ता है

जैसे – मौसमी फसल

मौसमी फसल वैसे फसल को कहा जाता है, जो किसी खास मौसम में ही उपज सकते है |

हलाँकि ऋतुओं की तासीर के अध्यन के बाद मौसमी फसल को फसलों की श्रेणी में बाँट दिया गया है जो रवि फसल और खरीफ फसल से आज जाने और पहचाने जाते है |

 


निष्कर्ष

जीवन के लिए ऋतुओं का परिवर्तन जितना मायने रखता है, उतना ही किसी ऋतु का अनियंत्रित होना भी, जीवन को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि कोई भी चीज तब तक ही अपना पूर्ण अच्छा प्रभाव दे सकती है, जब तक की वो नियन्त्रण में होगी ,नियन्त्रण से बाहर होने की अवस्था जीवन के लिए घातक हो सकती है, जिसकी अनुभूति कभी - कभी अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक ठंड के रूप में देखने को मिलती रहती है, जिसका प्रमुख कारण वर्तमान समय में मनुष्य के द्वारा पेड़ – पौधों को काटना,वातावरण को प्रदूषित करना,प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग करना इत्यादि जैसे कृत किये जा रहे है, जो जलवायु परिवर्तन को अत्यधिक बढ़ावा देते है ,जिसे अगर समय रहते सुधरा नहीं गया तो इसका बृहद रूप देखने को मिल सकता है|    

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