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#birsamuda#बिरसा मुंडा #‘मेरी प्रेरणा- जनजातीय नायक बिरसा मुंडा’

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                                             ‘ मेरी प्रेरणा- जनजातीय नायक बिरसा मुंडा ’ प्रस्तावना “कुछ लोग जिन्दा होकर भी जिन्दा नहीं रहते ! वहीं कुछ लोग मर कर भी नहीं मरते, सदा जिन्दा रहते है”, “ जैसे हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी ”| जिन्होंने कभी अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने कर्तव्य से मुँह नहीं मोड़ा, जिन्होंने कभी अंग्रेजों के द्वारा दी जाने वाली यातनाओं के डर से , घोड़ पीड़ा के भय से सच्चाई का पथ नहीं छोड़ा, कभी दबे – कुचले लोगों की मदद करने से , देश की भक्ति से या देश भक्तों का साथ देने से कभी भी मुँह नहीं मोड़ा , अपने कर्तव्य के प्रति इतना दृढनिश्चयी तो सिर्फ और सिर्फ भगवान ही हो सकते है कोई दूसरा नहीं इसीलिए हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी ने स्वयं को धरती आबा भी कहा था अर्थात “धरती का भगवान” |     जन्म हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी का जन्म 18 नवम्बर 1875 को उलिहातु गाँव के एक बटाईदार किसान परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता...

#What is G20 and why did the member countries feel the need for it?

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  The G20, also known as the Group of Twenty, is an international forum comprising 19 individual countries and the European Union. It was established in 1999 to promote international economic cooperation and address pressing global economic issues. The G20 brings together some of the world's major advanced and emerging economies to discuss and coordinate policies related to economic growth, financial stability, and development. The member countries of the G20 include: G20, जिसे बीस के समूह के रूप में भी जाना जाता है , एक अंतरराष्ट्रीय मंच है जिसमें 19 अलग-अलग देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। यह 1999 में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक आर्थिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए स्थापित किया गया था। G20 आर्थिक विकास , वित्तीय स्थिरता और विकास से संबंधित नीतियों पर चर्चा और समन्वय करने के लिए दुनिया की कुछ प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। G20 के सदस्य देशों में शामिल हैं - Argentina Australia Brazil Canada China France Germany In...

#Electric vehicle,एक दिशा प्रदुषण से मुक्ति की ओर | # Electric vehicle, one direction towards freedom pollution.

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प्रस्तावना परिवहन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ना हमसे तब अलग था, जब हमारे पास नई - नई तकनीकों का आभाव ही आभाव था, और ना आज अलग है, जब हमारे पास परिवहन के लिए एक से बढकर एक, उच्च कोटि की तकनीकें उपलब्ध है| लेकिन तब, जब हमारे पास तकनीकों का आभाव था, तब हम अपने परिवहन के लिए जानवरों या जानवरों के द्वारा खींचने वाली गाड़ियों का उपयोग करते थे, जिससे ना तो प्रकृति का सौन्दर्य कलुषित होता था, और ना ही वातावरण प्रदूषित होती थी, लेकिन आज जब हमारे पास नई – नई तकनीकों से लैस गाड़ियों का अम्बार है, तब हम प्रकृति के सौदर्य को धुएँ से ढंकते जा रहे है, और वातावरण को प्रदुषण से प्रदूषित करते जा रहे है | जिसको समय रहते समझना हमारे लिए आवश्यक बन गया है क्योंकि वातावरण प्रदूषित होने से ग्लेसियर का पिघलना दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है | जिससे वातावरण को असंतुलित होने का खतरा भी हो सकता है, जिसके शुरूआती लक्ष्ण कभी – कभी अत्यधिक गर्मी तो अत्यधिक ठंड के रूप में हमारे सामने भी आ रहे है | ऐसे में Electric vehicle ,प्रदुषण मुक्त, इंधन विमुक्त गाड़ी का परिवहन के लिए प्रचलन राहत की एक साँस ...

#मिलेट्स वर्ष 2023, एक कदम स्वस्थ्य जीवन की ओर | #Millets year 2023, a step towards healthy life.

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  प्रस्तावना स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ एवं पोष्टिक आहार का होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ जीवन की कामना इसके बिना निरर्थक है | ज्वार , बाजरा , रागी , मड़ुवा , सावां , कोदों , कुटकी , कंगनी , चना इत्यादि जैसे मोटे अनाजों में भरपूर मात्रा में उच्च प्रोटीन , फाइबर , विटामिन , लौह तत्त्व, कैल्शियम और मैग्नीशियम इत्यादि खनिज पाये जाते है, जो स्वास्थ्य की हर दृष्टि से हमारे शरीर के लिए उपयोगी माने जाते है | भले ही आज हम गेंहूँ को अपने आहार का अहम हिस्सा मानते है, लेकिन पूर्व के वर्षों में साबुत गेहूँ के आटे से बनी रोटियों को स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम नहीं माना जाता था, इसीलिए गेहूँ और चने के संयुक्त मिश्रण से बने, आटे की रोटियों को खाने की प्रथा का चलन था |   ऐसा नहीं है की मिलेट्स कोई आज के जमाने की विकसित मिल है या किसी वैज्ञानिक पद्धति से इसका निर्माण किया गया है , ये तो ऐसे अनाजों की किस्में है , जिसे खाकर हमारे पूर्वज स्वस्थ्य जीवन के लाभ से अभिभूत हुए और कुपोषण , अनामिया , मधुमेह इत्यादि जैसे असाध्य रोगों से दूर रहें , लेकिन हमारी पीढ़ी ना जाने क्यूँ इससे दूर रह...

#हमारे जीवन पर “ऋतुओं के परिवर्तन” का क्या प्रभाव पड़ता है ? एक दृष्टि में |#What is the effect of "change of seasons" on our lives? at a glance |, #hmare jivan pr rituon ke privrtan ka kya prbhav prta hai ?

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भूमिका   विज्ञान तो जीवन जीने की तमाम मानक तत्वों की खोज में चाँद तक पहुँच गया है,लेकिन वर्तमान में पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहाँ जीवन को जीना भी आसान है और जीवन को आगे बढ़ाना भी मुमकिन है क्योंकि पृथ्वी की संरचना ही जीवन के लिए अनुकूल है | पृथ्वी की संरचना, जीवन के लिए अनुकूल इसीलिए है क्योंकि धरती पर प्यास बुझाने के लिए मीठा जल है,पेट भरने के लिए यानि भोजन की उपज के लिए उपजाऊ मिट्टी है ,साँस लेने के लिए हवा है और आवो हवा में जीवन को बलिष्ट बनाने वाली ऋतुओं का साथ है , आवो हवा में जीवन को बलिष्ट बनाने वाली ऋतुओं का साथ इस लिहाज से है क्योंकि मनुष्य का शरीर जहाँ ग्रीष्म ऋतु की तपन से तप्त होता है वहीं वर्षा ऋतु के प्रभाव से थोड़ी राहत का साँस लेता है , शरद ऋतु से जब थोड़ा अपनी आवो – हवा में उमस महशुस करता है तब शीत ऋतु की करकराती ठंड को सहने की ओर अग्रसर हो जाता है |   ऋतु या मौसम एक शब्द के रूप में ऋतु और मौसम को अगर एक शब्दावली की दृष्टी से देखें तो दोनों एक समनार्थी शब्द की श्रेणी में आते है,जिसका अर्थ होता है सीजन , काल, समय लेकिन इनके उपयोग और प्रयोग...