#buvneshwar ek najar men #भुवनेश्वर एक नजर में #नाटककार भुवनेश्वर के बारे में
आभावों के सांचे में ढलकर साहित्य जगत के कर्णधार बनकर अपनी अमूल्य कृति 'आजादी की नींद ',जेरुसलम ','सिंकदर ',कारवाँ ', 'भेड़िए', मौसी , सुर्यपुजा , ताँबे के कीड़े ,श्यामा ,रहस्य ,लौटरी.रौशनी और आग ,मृत्यु ,इतिहास के केंचुल ,एक समयहीन साम्यवादी से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले व अपने सुंदर विचारों की सुंदर अभिव्यक्ति से साहित्य से जुड़ने वाले लोगों को कृतार्थ करने वाले भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव किसी परिचय के मोहताज नहीं है | महज डेढ़ वर्ष की उम्र में ही अपनी माँ को खोने का दर्द समझने वाले भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव का जन्म उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव शाहजहाँपुर में 1910 ई० में हुआ था | अपनी सौतेली माँ के रूखे व्यवहार में भी ममत्व का सुख प्राप्त कर छोटे से बड़े होने वाले ,अपने पिता से ज्यादा अपने चाचा के पितृत्व स्नेह भाव से सिंचित होकर अपनी जिन्दगी की दारुण अवस्था में भी अपने जीवन को सार्थक दिशा देने वाले भुवनेश्वर अपने समस्त आभावों को अपनी कहानी ,अपने नाटक के माध्यम से व्यक्त करने में कब परागंत हो गए उन्हें पता ही नहीं चला | उस समय के प्रख्यात उ...