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इंजिनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद जॉब नहीं मिलने की स्थिति में क्या करना चाहिए ? What should I do if I do not get a job after graduation in engineering?

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ऐसे सवाल हजारों विद्यार्थियों के मन में होते है जिसके जवाब ढूंढने के लिए बच्चें प्रयासरत रहते है , मैंने भी कई जगह ऐसे सवाल देखें, जिसे देखकर मुझे लगा क्यूँ ना ऐसे विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर एक ब्लॉग लिखा जाये जो इंजिनियरिंग में ग्रेजुएशन या बीटेक करने के बाद भी अच्छी जॉब ना मिलने से परेशान है या छोटी – मोटी या कम सैलरी वाली नौकरी मिलने से ह्तोस्ताहित है क्योंकि इंजिनियरिंग में ग्रेजुएशन या बीटेक करने के बाद भी अगर जॉब नहीं मिलता है तो अक्सर बच्चे ये सोचने लग जाते है की अब ऐसा और क्या करें जिससे जॉब ना मिलने की समस्या दूर या समाप्त हो जाये लेकिन सिर्फ सोचने से तो किसी भी समस्या का हल ना ही निकला है और ना ही निकलेगा ! हल तो तभी निकलेगा जब सोच को सही दिशा या उचित और स्थिति संगत मार्गदर्शन मिलें जिसके कारण विकास की गति या तो अवरुद्ध है या तो थोड़ी बहुत है तो आइये बिना देरी किये उत्पन्न समस्या की तरफ चलते है जो जॉब नहीं मिलने से सम्बंधित है और जिसका निदान ही इस ब्लॉग को लिखने का मकसद भी है इंजिनियरिंग में ग्रेजुएशन या बीटेक करने के बाद भी अगर जॉब नहीं मिल रहा है या मिल भी रहा है तो जै

नवजात शिशुओं को समय – समय पर टीका लगवाना क्यों आवश्यक है और तथा टीकाकरण का मुख्य उद्देश्य क्या है ? Why is it necessary to vaccinate newborns from time to time and and what is the main purpose of vaccination?

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  वयस्कों की तुलना में नवजात शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है जिससे नवजात शिशु अतिशीघ्र गंभीर विमारियों जैसे – पोलियो , खसरा,टेटनेस,टीबी,काली खांसी इत्यादि की चमेट में आ जाते है (चूँकि कृतिम उपायों से किसी भी रोग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त करना या निर्माण करना ही टीका या टीकाकरण है ) इसीलिए नवजात शिशुओं को गंभीर विमारियों के चपेट से बचाने के लिए समय – समय पर टीका लगवाना आवश्यक है नवजात शिशुओं को समय – समय पर टीका लगवाना इसीलिए भी आवश्यक है क्योंकि बढ़ते शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके और नवजात शिशुओं को स्वस्थ्य जीवन प्रदान किया जा सके इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने भी वर्ष 1985 में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की और इसी टीकाकरण अभियान को मजबूती प्रदान करते हुए वर्ष 2002 में हेपैटाइटिस B के लिए भी टीके की व्यवस्था की ताकि कोई बच्चा सिर्फ उचित समय पर टीका ना लगवाने के कारण अपना प्राण ना गंवादें या किसी गंभीर बिमारी से ग्रसित ना हो जाये कौन – कौन से ऐसे टीके है जो नवजात शिशुओं के लिए परम आवश्यक है समय के साथ – साथ बहुत कुछ बदलता है जैसे रोग , रोगों के कारण , रोग

अनुशासनात्मक जीवन प्रणाली और अनुशासन मुक्त जीवन प्रणाली में क्या अंतर है ? What is the difference between a disciplined life system and a discipline free life system?

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  अनुशासनात्मक जीवन प्रणाली अर्थात स्वयं के द्वारा शासित होकर अपने जीवन को जीने  की पद्धति और अनुशासन मुक्त जीवन प्रणाली अर्थात स्वयं पर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध लगाये बिना अपने जीवन को जीने की पद्धति ये दोनों ही जीवन पद्धति एक दूसरे के बिल्कुल ही विपरीत है इसमें किसी भी प्रकार की कोई समानता नहीं है, इसीलिए हम कह सकते है कि ईन दोनों ही जीवन प्रणाली में जो मुख्य अंतर है वो एक दूसरे से भिन्न होना ही है क्योंकि अनुशासनात्मक जीवन प्रणाली जहाँ उचित और अनुचित में भेद स्पष्ट कर उचित के साथ ही चलने पर बाध्य रखती है या स्वयं के द्वारा बनाये नियम के विपरीत चाह कर भी चलने नहीं देती है वहीं अनुशासन मुक्त जीवन प्रणाली जीवन में किसी भी प्रकार की कोई बाध्यता को जन्म ही नहीं देती है     जैसा की ईन दोनों ही जीवन प्रणाली के अर्थ से भी स्पष्ट हो रहा है लेकिन ईन दोनों ही जीवन प्रणाली के बीच पूर्ण अंतर स्पष्ट करने के लिए उपर्युक्त दोनों ही जीवन प्रणाली के बारे में विस्तार पूर्वक जानना परम आवश्यक है तो आइये जानने की कोशिश करते है - अनुशासनात्मक जीवन प्रणाली जैसा की हम जानते है स्वयं को किसी न