प्रस्तावना स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ एवं पोष्टिक आहार का होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ जीवन की कामना इसके बिना निरर्थक है | ज्वार , बाजरा , रागी , मड़ुवा , सावां , कोदों , कुटकी , कंगनी , चना इत्यादि जैसे मोटे अनाजों में भरपूर मात्रा में उच्च प्रोटीन , फाइबर , विटामिन , लौह तत्त्व, कैल्शियम और मैग्नीशियम इत्यादि खनिज पाये जाते है, जो स्वास्थ्य की हर दृष्टि से हमारे शरीर के लिए उपयोगी माने जाते है | भले ही आज हम गेंहूँ को अपने आहार का अहम हिस्सा मानते है, लेकिन पूर्व के वर्षों में साबुत गेहूँ के आटे से बनी रोटियों को स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम नहीं माना जाता था, इसीलिए गेहूँ और चने के संयुक्त मिश्रण से बने, आटे की रोटियों को खाने की प्रथा का चलन था | ऐसा नहीं है की मिलेट्स कोई आज के जमाने की विकसित मिल है या किसी वैज्ञानिक पद्धति से इसका निर्माण किया गया है , ये तो ऐसे अनाजों की किस्में है , जिसे खाकर हमारे पूर्वज स्वस्थ्य जीवन के लाभ से अभिभूत हुए और कुपोषण , अनामिया , मधुमेह इत्यादि जैसे असाध्य रोगों से दूर रहें , लेकिन हमारी पीढ़ी ना जाने क्यूँ इससे दूर रही या दूर
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