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#birsamuda#बिरसा मुंडा #‘मेरी प्रेरणा- जनजातीय नायक बिरसा मुंडा’

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                                             ‘ मेरी प्रेरणा- जनजातीय नायक बिरसा मुंडा ’ प्रस्तावना “कुछ लोग जिन्दा होकर भी जिन्दा नहीं रहते ! वहीं कुछ लोग मर कर भी नहीं मरते, सदा जिन्दा रहते है”, “ जैसे हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी ”| जिन्होंने कभी अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने कर्तव्य से मुँह नहीं मोड़ा, जिन्होंने कभी अंग्रेजों के द्वारा दी जाने वाली यातनाओं के डर से , घोड़ पीड़ा के भय से सच्चाई का पथ नहीं छोड़ा, कभी दबे – कुचले लोगों की मदद करने से , देश की भक्ति से या देश भक्तों का साथ देने से कभी भी मुँह नहीं मोड़ा , अपने कर्तव्य के प्रति इतना दृढनिश्चयी तो सिर्फ और सिर्फ भगवान ही हो सकते है कोई दूसरा नहीं इसीलिए हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी ने स्वयं को धरती आबा भी कहा था अर्थात “धरती का भगवान” |     जन्म हमारे भगवान बिरसा मुंडा जी का जन्म 18 नवम्बर 1875 को उलिहातु गाँव के एक बटाईदार किसान परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता...