#पर्यावरण क्या है और अब तक पर्यावरण संरक्षण हेतु कौन - कौन से कदम उठाए गये है ?# pryavran kya hai , or ab tak pryavran snrakshn hetu kaun - kaun se kdam uthayen gyen hai ?

अक्सर हम पेड़ – पौधों को ही पर्यावरण का मुख्य घटक समझते है, और अपने आस – पास की तमाम चीजों को नजरअंदाज कर देते है, जबकि हम जहाँ साँस लेते है या हम जहाँ रहते है ,हमारे आस – पास की तमाम चीजें पर्यावरण का ही हिस्सा है, क्योंकि पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ ही होता है चारों तरफ से घिरा हुआ , इसीलिए हम कह सकते है जो वस्तुयें या गैस सदृश्य रूप में या अदृश्य रूप में हमारे चारों तरफ विद्यमान है, मुल रूप से वही हमारा पर्यावरण है या वहीं हमारी असल आवो – हवा,वातावरण है | 

अब वह प्राकृतिक या मानवनिर्मित हो सकता है,इसमें कोई संसय नहीं है, क्योंकि प्रकृति

जहाँ इस समस्त ब्रह्मांड की मुल रचनाकार है,वहीं मानव अपनी बढ़ती आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए एक अदना कलाकार है, जो उपलब्ध संसाधनों को  अपने तकनीकी ज्ञान से भिन्न – भिन्न चीजों में परिवर्तित करता रहता है और जीवन को तकनीकों से जोड़कर सुविधाजनक बनाने का काम करता है |लेकिन कभी – कभी इसके दुष्परिनाम भी सामने आते है जिसको यदि समय रहते दूर किया जाये, तो जीवन पर मंडराते पर्यावरण विघटन के काले बादल को हटाया जा सकता है |



इस दिशा में सरकार द्वारा किये गए प्रयासों की सराहना भी अतुलनीय है 
जैसे-
1. पोलोथिन को पूर्णत: प्रतिबंधित कर देना 
पोलोथिन को पूर्णत: प्रतिबंधित कर देना इसीलिए आवश्यक था क्योंकि ये रिसाइकिल 
नहीं होता था,और जो पोल्युसन बढ़ाने के मुख्य घटकों में एक था|
ज्ञात हो की पोलोथिन का निर्माण इसीलिए किया गया था ताकि किसी वस्तु को कैरी 
करने में आसानी हो या किसी भी पदार्थ या वस्तु को नमी से बचाने के लिए कारगर हो 
लेकिन इसके दुष्परिणाम ही इसके पतन के कारण बने |
2. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन मानस को जागरूक करना 
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन मानस को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्लेटफोर्म के 
माध्यम से कैम्पेन चलाना,स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन करना ,और स्वयं भी आगे
आकर पेड़ लगाना और दूसरों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना |
3. डी कम्पोसेड सोल्यूशन से कचरे को खाद बनाना 
पोल्युसन बढ़ाने के मुख्य घटकों में से एक कचरा भी पर्यावरण के लिए 
एक खतरा था जो की स्थायी था जिसका कोई सोल्यूशन ही नहीं था लेकिन 
डी कम्पोस्ट सोल्यूशन से कचरे को कम्पोसेड खाद में परिवर्तित कर देने से 
ये अभिशाप भी एक तरह से वरदान में बदल गया, क्योंकि कचरे से बने खाद
 के उपयोग से फसल की पैदावार भी अच्छी होती है |  
4. जीरो पोल्युसन वाली गाड़ियों के लिए 
   प्लेटफोर्म तैयार करना और आगे बढ़ाना इत्यादि |
जीरो पोल्युसन वाली गाड़ियाँ जैसे Electric vehicle (EV), सड़क पर उड़ते काले– 
काले धुएँ जो पर्यावरण को काफी हद तक नुकसान पहुँचा रही है इससे निजात दिलाने में 
शत – प्रतिशत जिम्मेदार हो सकती है और अनुमानत: 2035 तक इंधन से
होने वाले खर्च से 60000 करोड़ रूपये का शुद्ध बचत भी कर सकती है |

निष्कर्ष 
अक्सर जहाँ गंदगी फैली होती है हम समझते है वहाँ कोई मनुष्य नहीं रहता ! 
क्योंकि जहाँ मनुष्य रहता है वहाँ गंदगी फैल ही नहीं सकती !
अगर ये मिथ्य भी है तो इसी मिथ्य के साथ जीने में क्या परेशानी है,कमसेकम
एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को इस अतिसुन्दर गुण से परिपूर्ण तो देखता है, या 
एक मनुष्य, दूसरे मनुष्य को इस सुंदर गुण को आत्मसात करने के लिए 
प्रेरित तो करता है |
उपर्युक्त मिथ्य से या अपना परम कर्तव्य मानकर अगर हम पर्यावरण को 
साफ सुथरा रखने के साथ – साथ नये पेड़-पौधें लगाते जायेंगे,
तो निश्चित तौर पर एकदिन शुद्ध वातावरण में खुल कर साँस ले सकेंगे | 
 
  




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