कोरोना महामारी ‘एक संकट जीवन के लिए’ Corona mhamari ' ek sankat jivan ke lie '



कहते है प्रकृति की रचना सरंचना मानव के अनुकुल होने के साथ – साथ मानव हितैषी भी है और संरक्षण प्रदान करने वाली भी है क्योंकि कोई भी जीव तभी अपने जीवन को आगे बढ़ा सकता है जब जीवन बचाने योग्य आधार हो जैसे साँस लेने के लिए भरपूर मात्रा में ओक्सिजन हो , पीने के लिए निर्मल जल हो , फसल उगाने हेतु उपजाऊ मिट्टी हो इत्यादि....

लेकिन इसके आलावा भी हमें किसी और वस्तु की दरकार अपने जीवन को बचाने के लिए महसूस हो सकती है ये हमें समय दर समय समझ में आता है और हम उसे हराने का प्रयास करते है |

लेकिन कोरोना महामारी एक संकट जो जीवन को तवाह ही नहीं पूरी तरह से नष्ट करने के लिए उत्पन्न हुआ जो इतना प्रभावी था कि जीवन से ही जीवन को खतरा होने का डर हमारे मन मस्तिस्क में बैठ गया और जब तक इसका पूर्ण प्रभाव रहा हम घर तक या अपने आप तक ही सिमित रहें .....



ऐसा नहीं है कि ये डर यूँ ही हमारे मन मस्तिस्क में बैठ गया लाखों जिंदगियों को तवाह होता , बर्बाद होता ,खत्म होता देखकर हम भला भयमुक्त कैसे रह सकते थे और ऐसा होना स्वभाविक भी था



खैर अगर हम इस महामारी के उत्पत्ति की दिशा में बिना किसी को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए सोचें तो हम इसे एक दैवीय आपदा या प्रकृति की रचना संरचना को जाने – अनजाने में छेड़ने का प्रतिफल ही मानेंगे..!

हम क्यों प्रकृति की रचना संरचना के साथ छेड़-छाड़ करते है क्या हम अपने शोध के लिए उचित मार्ग के साथ सिलसिलेबार ढंग से आगे बढना भूल गये है या हमारी ये स्थिति हमारे भीतर अतिसिघ्र कुछ ढूंढने की, कुछ पाने की, तीव्र इच्छा के कारण हो गयी है या इसके उत्पत्ति के पीछे कोई और कारण है जिसे अभी तक समझना हमारे लिए मुमकिन नहीं हो पाया है ..

लेकिन जहाँ तक मेरी समझ कहती है बिना किसी कार्य को किये उसका परिणाम सामने नहीं आता है..!

खैर अगर हम महामारी की उत्पत्ति को भी आकस्मिक होने वाली एक घटना मानते हुए इसकी रोकथाम की दिशा में सोचते है तब हमें समझ आता है कि हम अभी भी आकस्मिक होने वाली घटनाओं के रोकथाम के लिए कितने तैयार है ..!

खैर अब हम इस महामारी से भी काफी हद तक निकल गए है और अपने जीवन को सुचारू रूप से जीने की दिशा में अग्रसर है ........ 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

#प्रारम्भिक शिक्षा पर मातृभाषा का प्रभाव एक दृष्टि में | # prarmbhik shiksha pr matribhasha ka prbhav ek drishti men | # The impact of mother tongue on elementary education at a glance.

#What is G20 and why did the member countries feel the need for it?

#मिलेट्स वर्ष 2023, एक कदम स्वस्थ्य जीवन की ओर | #Millets year 2023, a step towards healthy life.