वल और क्षमता क्या है और इसकी वृद्धि के लिए क्या करना चाहिए ? और इसके क्या फायदे हो सकते है ...

 



मेरा मानना है की अपने शरीर की किसी भी प्रकार की उर्जा को बढ़ाने से पहले हमारे लिए ये जानना परम आवश्यक है कि वो है क्या और उसके क्या – क्या फायदे और क्या – क्या नुकसान है क्योंकि जबतक हम उसके बारे में नहीं जानेगें उसके वृद्धि से भी हम उसका वो लाभ नही उठा पायेंगे जो लाभ उसके बारे में हम जानकर उठा सकते है  ..

और वैसे भी मनुष्य के दिमाग को धोड़े की संज्ञा दी गई है हम दिमाग रूपी घोड़े को जिस भी दिशा में दौड़ाना प्रारंभ करेंगे उस दिशा के बारे अत्यधिक जानने लगेंगे ..

तो आइये हम अपने वल और अपनी क्षमता को बढ़ाने के बारे में जानने से पहले वल और क्षमता के बारे में थोड़ा जानने की कोशिश करते है ...

वल और क्षमता, है तो दो शब्द, और दोनों के मायने भी अलग – अलग है लेकिन एक दूसरे के बिना जैसे  दोनों अधूरे है इसको अगर हम एक उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करें तो बहुत ही आसानी से समझ सकते है

जैसे कोई किसी वस्तु से भरे थैले को उठाता है और दो घटें तक उठाये रखता है | यहाँ थैले को उठा पाना वल को दर्शाता है जबकि थैले को दो घटों तक उठाये रखना क्षमता को दर्शाता है वही अगर कोई थैले को उठा तो लेता है लेकिन उठाने के साथ ही ज्यों का त्यों रख देता है तो जरा सोचिये ऐसे वल का क्या लाभ जब उसका हमें किसी भी प्रकार का कोई प्रतिफल ही ना मिलें

इसीलिए हमें वल के साथ – साथ क्षमता को भी बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए जिससे हम अपने जीवन में वल और क्षमता के माध्यम से जो भी लाभ प्राप्त कर सकते है उससे वंचित ना रहें ..

तो आइये आज हम शारीरिक वल और मानसिक वल को कैसे बढाये ये जानने की कोशिश करते है ...

* शारीरिक वल बढ़ाने का तात्पर्य यहाँ     

 शारीरिक ताकत से है जबकि मानसिक  

 वल बढ़ाने का तात्पर्य यहाँ स्वस्थ्य दिमाग

 से है

 

शारीरिक वल

शारीरिक वल बढ़ाने के लिए हमें पौष्टिक आहार को अपने डाईट में शामिल करना चाहिए

जैसे अंडा , दूध , मांस , मछली ,फल, सोआबीन , मसरूम .. इत्यादि

 

मानसिक वल

मानसिक वल बढ़ाने के लिए सुबह सुबह 5 या 6 वादाम को भिंगों कर मख्खन और मिश्री के साथ सेवन करना चाहिए

अखरोट , अंडा , दूध , मछली का सेवन भी दिमाग के लिए फायदेमंद होता है  

 

अब शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता को कैसे बढाये ये जानने की कोशिश करते है ......

शारीरिक क्षमता के विकास लिए हमें हमारे शरीर को शरीरिक मेहनत और शारीरिक खेल रूपी अग्नि में तपाना परम आवश्यक है

जैसे हम कसरत कर सकते है , योग कर सकते है , तैराकी कर सकते है,साइकिलिंग कर सकते है इत्यादि

मानसिक क्षमता के विकास के लिए .....

हम अच्छी किताबें पढ़ सकते है ..

हम शतरंज खेल सकते है या जो खेल जिसमें दिमाग की आवश्यकता होती है हम खेल  सकते है , अच्छा संगीत सुन सकते है , अचानक से किसी को कुछ बोल देने के बजाए सोच समझ कर बोलना भी मानसिक क्षमता के विकास के लिए अच्छा होता है

 


 

निष्कर्ष

किसी के भी जीवन की स्थिति सदा एक सी नहीं रहती है परिस्थिति के मुताबिक उसमें फेर – बदल कभी स्वत: तो कभी हमारे द्वारा ही किये गये कर्म के अनुसार होती रहती है लेकिन हमें अपने आप को हर परिस्थिति का डट कर सामना करने के लिए वल और क्षमता रूपी कवच को तैयार करना मेरी समझ से किसी भी प्रकार के ठहराव के लिए उत्तम है अब चाहे वो शारीरिक वल और शारीरिक क्षमता हो या मानसिक वल और मानसिक क्षमता हो जैसे

हम अपने जीवन में कुछ भी प्राप्त करते है या कुछ भी प्राप्त करते – करते नहीं प्राप्त कर पाते है ये दोनों ही स्थिति वल और क्षमता के कारण ही उत्पन्न होती है इसमें ज्ञान का भी हाथ होता है लेकिन हम अपने ज्ञान का भी उपयोग तभी कर पायेंगे जब हमारे पास परिस्थिति को अपने अनुकुल बनाने वाली वल और क्षमता होगी |



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