सुन्दरता हमें क्यों अपनी ओर आकर्षित करती है...
क्या सुन्दरता ही ईश्वर का दिया हुआ वो वरदान है जिसे पाने को
लोग क्या से क्या कर जाते है.............
क्या सुन्दरता में बाकई ऐसी कोई आकर्षण शक्ति है जो हमें अपनी ओर खींचने की कुब्बत रखती है क्या बाहरी सुन्दरता ही सर्वोपरी है क्या भीतरी सुन्दरता का कोई मोल नहीं .....
ऐसे कई सारे सवालों का जन्म होना स्वभाविक है अगर हम सुन्दरता या सुन्दरता के
आकर्षण के विषय में सोचना शुरू करते है |
कहते है किसी भी विषय को हम तब तक नहीं समझ
सकते है या तब तक हल नहीं कर सकते है जब तक हमारे भीतर जानने की या सीखने की रुची उस
विषय के प्रति उत्पन्न ना होने लगे ..
तो चलिए सुन्दरता हमें अपनी ओर क्यों आकर्षित करती है या सुन्दरता क्या है इसको
समझने की कोशिश करते है ...
तो मेरी समझ से सुन्दरता एक प्रकार की ऐसी ईश्वर
की उत्कृष्ट रचना है जो हमें हमारी दृष्टि के माध्यम से हमारे मन मस्तिस्क में उतर
कर हमें या तो देखते रहने या ताउम्र के लिए पाने जैसी तमन्ना से भर देती है और
स्वभाविक भी है क्योंकि सुन्दर चीजों की चाह किसे नहीं होती है या कौन सुन्दर
वस्तु के पीछे भागना नहीं चाहता है , जैसे ..
Ø · दिन रात मेहनत मजदूरी भी तो अपने जीवन को सुन्दर बनाने के लिए
ही लोग करते है |
·
विद्यार्थी भी तो जी जान लगाकर पढाई में जुटे
रहते है ताकि अपने भविष्य को वर्तमान से सुन्दर बना सकें |
·
किसे सुन्दर घरों में रहना पसंद नहीं है या
किसे सुन्दर घरों की चाह नहीं होती है
·
कौन सी महिला या कौन से पुरुष को सुन्दर दिखने
की तमन्ना नहीं होती है या सुन्दर साथी की तमन्ना किसे नही होती है |
·
कोई घूमना फिरना भी तो वहीं चाहता है जहाँ
प्रकृति की सुन्दर संरचना का नूर बरसता है
..
·
सुन्दर खान – पान की चाहत किसे नहीं होती है
..
कहते है हमारे मन की या हमारे हृदय की सुन्दरता ही हमारे
मुखमंडल पर एक तेज की तरह विद्यमान होती है जिसे भूल बस हम कभी – कभी बाहरी
सुन्दरता समझने लगते है जबकि वास्तविकता में वो सुन्दरता हमारे भीतर की होती है जैसे
कोई महिला गोड़ी और सुन्दर शक्ल सुरत की होने के बाबजूद भी सुन्दर नहीं दिखती है
लेकिन वही श्यामली या काली होने के बाबजूद किसी महिला के मुखमंडल से सुन्दरता का
नूर टपकता है |
खैर बाहरी सुन्दरता तो हमें हमारी दृष्टि के माध्यम से
ही पलभर में ही आकर्षित कर
सकती है लेकिन ये आकर्षण क्षणिक हो सकता है लेकिन वहीं
अगर हम भीतरी सुन्दरता के आकर्षण से आकर्षित हो तो ये आकर्षण चिरस्थाई या क्षणिक
दोनों हो सकता है क्योंकि आकर्षण क्षणिक ही होता है और आकर्षण का काम ही है
आकर्षित करके फिर मार्ग से हट जाना.! इसमें किसी तरह का कोई संसय नहीं है अब
प्रश्न उठता है कि भीतरी सुन्दरता से हम कैसे आकर्षित होंगे ..
तो भीतरी सुन्दरता से हम तभी आकर्षित हो सकते है जब हम
उसके बारे में जानने की कोशिश या उसके साथ समय बिताने की कोशिश करेंगे और जैसे –
जैसे हम उसको जानने की या उसके साथ समय बिताने की कोशिश करते जायेंगे हम उसके
व्यक्तित्व के आकर्षण से आकर्षित होते जायेंगे |
निष्कर्ष
सुन्दरता का आकर्षण चाहे भीतरी हो या बाहरी वो अपनी ओर आकर्षित करने में पूर्णरूप से सामर्थवान होती है | क्योंकि सुन्दरता को निहारना या सदा के लिए पाने की तमन्ना रखना हमारे हृदय को रोमांचित करती है और अपनी जिन्दगी में रोमांच कौन लाना नहीं चाहता है और तो और अपने जीवन को हर कोई चाहे या अनचाहे रूप से सुन्दर ही बनाना चाहता है |
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