संगीत क्या है ..? और संगीत का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है....
संगीत क्या है ..? और संगीत का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है या संगीत से हम अपने जीवन को कितना प्रभावित कर सकते है ....... कहते है संगीत भी एक प्रकार से साधना का ही साकार रूप है जिसे साधे तो भी वाह – वाह और श्रवण करें तो भी वाह – वाह.. और इतना ही नहीं ईश्वर का साक्षात्कार भी सरलता से संगीत के माध्यम से हो जाती है क्योंकि संगीत में रिदम रूपी जादुई तरंग का पूर्णत: समावेश होता है जो हमारे रोम – रोम में सिहरन पैदा कर देती है जिससे स्फूर्ति रूपी किरणें आप ही फूटने लगती है और वो स्फूर्ति रूपी किरणें हमारे हृदय को पवित्र ,निश्छल, निष्कपट बनाती हुई ईश्वर से हमारा तार जोड़ देती है वैसे संगीत, गायन ,नृत्य और वादन के मिश्रण को ही एक मत से कहते है लेकिन जहाँ तक मैं समझता हूँ संगीत किसी दायरे में बंध कर नहीं रह सकती इसीलिए मेरे मत से कोई भी क्रिया जो रिदम या ताल प्राप्त करने में सफल हो जाये संगीत कहलाने योग्य है जैसे किसी की चाल में भी रिदम हो सकती है ,किसी के बोलने के लहजे में भी रिदम हो सकती है या हम कविता ,गीत,गजल ,छंद ...