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स्वयं को समझने के लिए आवश्यक तत्व क्या होने चाहिए ? प्रकाश डालें

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  जन्म से लेकर मृत्यु हमारे जीवन की यही नियति है हम किसी भी तरह इस नियति को बदल नहीं सकते है और हम इसी नियति के साथ अपने जीवन को लेकर जन्म के साथ मृत्यु तक पहुँचते है लेकिन हम इस नियति तक कैसे पहुँचते है किन – किन परेशानियों का सामना करते है , अपने जीवन की उपयोगिता गाँव , समाज , देश , दुनिया के समक्ष कैसे प्रस्तुत करते है , अपने जीवन को जीने के लिए कौन सी जीवन शैली अपनाते है जिसमें स्वयं के साथ – साथ दूसरों की भी उनत्ती निहित हो इत्यादि प्रकार के जितने भी उत्पन्न प्रश्न है उन प्रश्नों को हम हल तभी कर पायेंगे जब हमारे भीतर समझने की गहन शक्ति होगी और समझने की ये गहन शक्ति हमारे व्यवस्थित कार्य प्रणाली से ही प्राप्त हो सकती है अब आप सब के मन में ये विचार उत्पन्न हो सकता है कि हमारे कार्य प्रणाली से समझने की गहन शक्ति कैसे प्राप्त हो सकती है तो जबाव के तौर पर आप नीचे दिये गए दो उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है  1 . कुछ लोग किसी भी कार्य को करने से पहले कुछ नहीं सोचते है बिना सोचे समझे करने लग जाते है | 2. जबकि कुछ लोग किसी भी काम को करने से पहले सौ बार सोचते है और तब तक सोचते है जब तक